ठण्ड आखिर चली ही गयी. अबके बहुत दिन रही. कोई बहुत दिन रह जाये तो अच्छा नहीं लगता.
पर कभी कभी बहुत भाने भी लगता है. बहरहाल ठण्ड अभी गयी ही थी कि गर्मी आ गयी.
और पतझर...
यह खुशनुमा मौसम कहीं नज़र ही नहीं आया..
पत्तो का गिरना. जमीन सूखे पत्तो से भर जाती
सूखती सी हवा धीरे धीरे..
चलिए न सही.. अगली साल इंतजार करेंगे...
अब समय है पुराने पाठ को दुहराने का
पानी बर्बाद न करेंगे न होने देंगे
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