Wednesday, June 19, 2013

प्रकृति का कहर

बारिश का इंतजार करना सबसे खूबसूरत काम होता है. आकाश में तपता  सूरज बारिश के इंतजार में सुन्दर लगता है. जैसी ही बूंदे आकाश से गिरकर माथे पर पड़ती है सुकून सा लगता है. पर अबकी ऐसा नहीं लगा. अबके तो बारिश कहर बन के ढह गयी. जाने कहाँ से इतने भारी हो गए बदल की फट गए. जाने कितनी आस्थाएं जलमगन हो गयीं. जाने कितने ख्वाव घाटियों में समा गए.
प्रकृति सबकी  पालनहारी, ऐसे कैसे नाराज़ हो गयी.
पिछले साल हम भी थे इन्ही वादियों में, अप्रितम सौंदर्य, एक अलग दुनिया, सच्ची देव भूमि, शांत माहोल, शांत लोग. कोई आपा धापी नहीं, कहीं बरफ, कहीं पानी, कहीं सुन्दर पेड़, बस इतनी  ही कहानी.
इसी कहानी में खो गए कई लोग, वो खच्चर, वो टैक्सी, वो भेड़ों के झुण्ड को हांकती लड़कियां सब.

सब यात्रियों की चर्चा कर रहे है, स्थानीय लोगो के बारे में तो पूछ परख ही नहीं.