Monday, April 20, 2020

अतिथि तुम कब जाओगे....

आज अमरीका से आई एक खबर ने दिल दहला दिया। वहाँ के एक ओल्ड एज होम से 17 लाशें निकाली गयी। कहा जा रहा है  कि 500 की क्षमता वाले इस होम में कोरोना से कई लोग संक्रमित हो गए हैं और इस बात की सूचना भी किसी को नहीं दी गयी है।
निखालिस  भारतीय मानसिकता से रचा वसा मेरा मानस  social distancing रखने वाले इन देशों की इन व्यवस्थाओं से सहमत नहीं होता। जीवन के असहाय दौर को एकाकी हो कर जीना, बड़ा दुखद है। उस पर ऐसी महामारी  का तेजी से फैलाव, तो शायद ऐसे होम किसी की प्राथमिकता में ही न आए हों।
अब मैं सोच रही हूँ की virus बड़ा किआदमी, तो यूं लगा कि आदमी छोटा हो गया है, उसका अवमूल्यन  हो गया।  वाइरस के बड़े वजूद ने ventilator, बीमारी का स्टेटस, उम्र के आधार पर आदमी का बंटवारा करा दिया, और तो और कब्रिस्तान मे भी प्रतीक्षारत बना दिया।
यह सब किस बात का सूचक है, हम कहाँ आ खड़े हो गए। ज़िंदगी की तेज रफ्तार ने आज पूरे विश्व को जहां लाकर खड़ा कर दिया है, वो निश्चित ही सीख देने वाला है।
काश हम कुछ सीख सकें।
फिलहाल तो यही कहना है कि अतिथि तुम कब जाओगे।